
रिपोर्ट: सीमा से अजमल शाह |
नेपाल में जारी Gen-Z प्रोटेस्ट अब नियंत्रण से बाहर होता दिख रहा है। सोमवार से शुरू हुए इस आंदोलन की चपेट में अब देश के बड़े नेता भी आने लगे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल के काठमांडू स्थित आवास में प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी, जिसमें उनकी पत्नी राजलक्ष्मी खनाल गंभीर रूप से झुलस गईं। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
यह घटना नेपाल के राजनीतिक इतिहास में एक दर्दनाक मोड़ बन गई है।
Gen-Z का गुस्सा किस पर?
इस विरोध की अगुवाई कर रही है नेपाल की युवा पीढ़ी — विशेष रूप से Gen-Z, जिनका कहना है, सत्ता में बैठे नेता जनता की समस्याओं से कटे हुए हैं। सरकार रोज़गार, शिक्षा और महंगाई के मुद्दों पर असफल रही है। लोकतंत्र को सिर्फ चुनाव जीतने का ज़रिया बना दिया गया है। अब सवाल यह है कि आंदोलन जनता की आवाज़ है या अराजकता का नया चेहरा?
हिंसा का स्तर: अब कोई सुरक्षित नहीं?
यह आंदोलन सिर्फ नारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सरकारी इमारतें, कोर्ट, पुलिस थाने और अब नेताओं के घर भी निशाना बन रहे हैं।

झालानाथ खनाल जैसे वरिष्ठ नेता का परिवार भी सुरक्षित नहीं रहा, तो आम जनता का क्या होगा?
Hello UP की अपील: विरोध ज़रूरी है, हिंसा नहीं
हमें समझना होगा कि लोकतंत्र में असहमति की जगह होती है, लेकिन आगजनी और हिंसा की नहीं। राजलक्ष्मी खनाल की मौत न सिर्फ एक दुखद घटना है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि जब विरोध नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो हर तरफ नुकसान ही नुकसान होता है।
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